BA BSc BCom Semester-2 Primary Medical and Health - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए बीएससी बीकाम सेमेस्टर-2 प्राथमिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए बीएससी बीकाम सेमेस्टर-2 प्राथमिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2730
आईएसबीएन :0

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बीए बीएससी बीकाम सेमेस्टर-2 प्राथमिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य - सरल प्रश्नोत्तर


अध्याय - 1
मौलिक प्राथमिक चिकित्सा / उपचार

(Basic First Aid)

किसी रोग के होने या अकस्मात चोट लग जाने पर आस-पास विद्यमान किसी अप्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा घटना के तुरन्त बाद जो सीमित उपचार किया जाता है, उसे प्राथमिक चिकित्सा कहा जाता है। प्राथमिक चिकित्सा सामान्यतः आस-पास उपस्थित किसी व्यक्ति द्वारा किया जाता है। सामान्यतः ऐसा व्यक्ति अपरचित या पीड़ित व्यक्ति का कोई परिचित व्यक्ति होता है।

प्राथमिक चिकित्सा का मुख्य उद्देश्य कम से कम साधनों में इतनी व्यवस्था करना होता है कि चोटग्रस्त व्यक्ति को सम्यक इलाज कराने की स्थिति में लाने में लगने वाले समय में कम से कम नुकसान हो।

इस प्रकार प्राथमिक चिकित्सा प्रशिक्षित या अप्रशिक्षित व्यक्तियों द्वारा कम से कम साधनों में किया गया सरल उपचार है जो बहुधा जीवन रक्षक साबित होता है।

प्राथमिक चिकित्सा विधा प्रयोगात्मक चिकित्सा के मूल सिद्धान्तों पर आधारित होता है। इसका ज्ञान शिक्षित व्यक्तियों को इस योग्य बनाता है कि वे आकस्मिक दुर्घटना या बीमारी के अवसर पर चिकित्सक के आने तक या चोटग्रस्त व्यक्ति को अस्पताल ले जाने तक उसके जीवन को बचाने, रोग निवृत्ति में सहायक होने या घाव की दशा को और अधिक खराब होने से रोकने में समुचित सहायता कर सके।

ऐसे उपचार का क्षेत्र आकस्मिक दुर्घटना पर उन वस्तुओं से सहायता करने तक सीमित है जो आस-पास उपलब्ध हो। इसका ध्येय रोगी को रोग मुक्त करना नहीं बल्कि कुछ समय के लिए रोगी को इस हालत में ला देना है ताकि उसे सुरक्षित अस्पताल पहुँचाया जा सके। इस प्रकार प्राथमिक उपचारक चिकित्सक की जगह नहीं ले सकता जैसे ही किसी चिकित्सक की सेवायें उपलब्ध हो जाती हैं प्राथमिक चिकित्सा और प्राथमिक उपचारक का उत्तरदायित्व समाप्त हो जाता है।

प्राथमिक चिकित्सा सामान्यतः ऊँचाई पर जाने से समस्या होने, हड्डी के टूटने, जलने, हार्ट अटैक, श्वसन मार्ग में किसी प्रकार का व्यवधान होने, पानी में डूबने, हीट स्ट्रोक, मधुमेह, अचानक मूर्छित हो जाने, विष का प्रभाव, दाँत दर्द, जोड़ों के विस्थापन, घाव-चोट आदि में काफी उपयोगी है। ऐसे मामलों में समय पर प्राथमिक चिकित्सा मिल जाने पर रोगी के जान को बचाया जा सकता है।

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